भारतीय संस्कृति
संस्कृति शब्द का अर्थ अत्यंत ही व्यापक है
संस्कृति को आमतौर पर कला का रूप माना जाता है संस्कृति वास्तव मे सामूहिक जीवन
यापन करने का एक ढंग है जो सामूहिक जीवन के सामने अनुभवों के परिणामस्वरूप विकसित
होती है. हम नैतिक मूल्यों और मानवीय सम्बन्धो मे लोगों के व्यवहार को संस्कृति से
जोड़ते हैं संस्कृति शब्द से हमारा तात्पर्य जीवन स्तर, रहन-सहन,
वेषभूषा, भाषा, विचार,
कार्य की संस्कृति से इसका आकलन करते हैं. पंडित श्री जवाहरलाल नेहरू के अनुसार “संस्कृति का अर्थ मनुष्य का आंतरिक विकास और
उसकी नैतिक उन्नति है पारस्परिक सद व्यवहार है और एक दूसरे को समझने की शक्ति है” लौकिक संस्कृति जैसे प्रोध्योगिकी,कला के रूप,वास्तुकला,घरेलू
प्रयोग की वस्तुएं,
कृषि, व्यापार एवं वाणिज्य, युद्ध एवं अन्य सामाजिक क्रियाकलाप आदि. अलौकिक
संस्कृति से साहित्यिक,एवं
बौद्धिक परम्पराओं विश्वासों,दंतकथाओं, और वाचक परंपरा का बोध होता है सरल शब्दों मे
संस्कृति जिसमे ज्ञान,
विश्वास, कला, नैतिकता,
विधान, रिवाज, आदि का समावेश होता है ।
भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमे भारत का महान इतिहास शामिल है संस्कृति
शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग यजुर्वेद मे हुआ है भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम
संस्कृतियों मे से एक है जिस समय संसार के अनेक देश अंधकारमय जीवन व्यतीत कर रहे
थे उस समय भारत को विश्व गुरु माना जा रहा था भारत ने उस समय एशिया के कई देशों मे
अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया और वहाँ लोगों को सभ्य एवं सुसंस्कृत जीवन
व्यतीत करना सिखाया. विश्व की प्राचीन सभ्यताएं मिश्र, सुमेर,
बेबीलोन, यूनान, एवं रोम आदि आज प्राय: लुप्त हो चुकी है परन्तु
भारतीय संस्कृति अनेक कठिनाईयों सहने के बाद भी जीवित है जहां पर इसका उल्लेख वरीयता एवं वरणीयता है
जिसका अर्थ मनुष्य के लिए जो वरणीय है काम्य है वह संस्कृति का अंग है “ऐतरेय
ब्राह्मण” मे मनुष्य की अंत:करण की शुद्धि को ही संस्कृति कहा गया है ।
भारतीय संस्कृति मे बिभिन्न तत्व पाये जाते हैं
जैसे की रहन सहन,
वेषभूषा, प्रथा, परंपरा,
कला संगीत, नृत्य, भाषा,
और धर्म आदि. महानगरों मे आधुनिक वेषभूषा दिखाई देती है । पंजाबी, बंगाली,
कश्मीरी, राजस्थानी, सिंधी,
आदि प्रांतो के नागरिकों का पहनावा,
बोली, श्रिंगार,संगीत,
नृत्य, अपनी अपनी परंपरा की वजह से
भिन्न भिन्न है इसी तरह अलग अलग राज्य की भाषाएँ भी भिन्न हैं. भारत मे मुख्य
भाषाएँ – हिंदी,
संस्कृत, पंजाबी, बंगाली,
गुजराती, तमिल, कन्नड,
मराठी, मलयालम, उर्दू,
इनके अतिरिक्त अनेक क्षेत्रीय बोलिया हैं भारत मे अंग्रेजी का भी प्रयोग किया जाता
है ।
भारत एक सम्पन्न देश है इस देश के निवासियों ने भौतिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए रहन-सहन के जो ढंग अपनाए, जिन दार्शनिक विचारकों के आधार पर जीवनयापन का मार्ग निर्दिष्ट किया उसे ही हम भारतीय संस्कृति के नाम से पुकारते हैं।
हाथ जोड़कर प्रणाम करना भारतीय संस्कृति
हाथ जोड़कर प्रणाम करना एक सम्मान है, एक संस्कार है। प्रणाम करना
एक यौगिक प्रक्रिया भी है। बड़ों को हाथ जोड़कर प्रणाम करने का वैज्ञानिक महत्व भी
है। नमस्कार मन, वचन
और शरीर तीनों में से किसी एक के माध्यम से किया जाता है।
'नम:' धातु से बना है 'नमस्कार'। यह हिन्दू धर्म की भाषा संस्कृत का शब्द है।हिन्दू और भारतीय संस्कृति के अनुसार मंदिर में दर्शन करते समय या किसी सम्माननीय व्यक्ति से मिलने पर हमारे हाथ स्वत: ही नमस्कार मुद्रा में जुड़ जाते हैं। दाहिना हाथ आचार अर्थात धर्म और बायां हाथ विचार अर्थात दर्शन का होता है। प्रणाम करते समय दायां हाथ बाएं हाथ से जुड़ता है ।
'नम:' धातु से बना है 'नमस्कार'। यह हिन्दू धर्म की भाषा संस्कृत का शब्द है।हिन्दू और भारतीय संस्कृति के अनुसार मंदिर में दर्शन करते समय या किसी सम्माननीय व्यक्ति से मिलने पर हमारे हाथ स्वत: ही नमस्कार मुद्रा में जुड़ जाते हैं। दाहिना हाथ आचार अर्थात धर्म और बायां हाथ विचार अर्थात दर्शन का होता है। प्रणाम करते समय दायां हाथ बाएं हाथ से जुड़ता है ।
भारत में नदियों, वट, पीपल जैसे
वृक्षों, सूर्य
तथा
अन्य प्राकृतिक देवी – देवताओं
की
पूजा अर्चना का क्रम शताब्दियों से चला आ रहा है। देवताओं की मान्यता, हवन और पूजा-पाठ की पद्धतियों
की निरन्तरता भी आज तक अप्रभावित रही हैं। वेदों
और
वैदिक
धर्म में
करोड़ों भारतीयों की आस्था और विश्वास आज भी उतना ही है, जितना हज़ारों वर्ष पूर्व था। गीता और उपनिषदों के सन्देश हज़ारों
साल से हमारी प्रेरणा और कर्म का आधार रहे हैं। किंचित परिवर्तनों के बावजूद
भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्त्वों, जीवन
मूल्यों और वचन पद्धति में एक ऐसी निरन्तरता रही है, कि आज भी करोड़ों भारतीय
स्वयं को उन मूल्यों एवं चिन्तन प्रणाली से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं और इससे
प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
पूरे विश्व भर
में भारतीय संस्कृति बहुत प्रसिद्ध है। विश्व के बहुत रोचक और प्राचीन संस्कृति के
रुप में इसको देखा जाता है। अलग-अलग धर्मों, परंपराओं, भोजन, वस्त्र आदि से
संबंधित लोग यहाँ रहते हैं। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के रह रहे लोग यहाँ
सामाजिक रुप से स्वतंत्र हैं इसी वजह से धर्मों की विविधता में एकता के मजबूत
संबंधों का यहाँ अस्तित्व है।
भारत की
राष्ट्रीय भाषा हिन्दी है हालाँकि विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में
लगभग 22 आधिकारिक भाषा और 400 दूसरी भाषाएँ बोली जाती हैं। इतिहास के अनुसार, हिन्दू और बुद्ध धर्म जैसे धर्मों की जन्मस्थली के रुप में भारत
को पहचाना जाता है। भारत की अधिसंख्य जनसंख्या हिन्दू धर्म से संबंध रखती है।
हिन्दू धर्म की दूसरी विविधता शैव, शक्त्य, वैष्णव और
स्मार्ता है। भारतवर्ष मे गाय को माँ का दर्जा दिया गया है यहाँ पर गाय की पुजा की
जाती है आर्य समाज की एक मान्यता के अनुसार विवाह मे कन्या दान करने से पूर्व गाय
का दान किया जाता है माना जाता है की गाय के सभी अंगों मे भगवान का वास होता है
इससे माना जाता है की कन्या को गाय का दान करने से बड़ा कोई भी दान-दहेज व कोई
पुण्य नहीं है
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